डायबिटीज और हाई बीपी के संबंध के बारे में जानें खास बातें
सुमन कुमार
मूल तथ्य:
ब्लड प्रेशर या रक्तचाप आमतौर पर दाहिने हाथ में बैठी अवस्था में मापा जाता है।
यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/80 mmHg आए तो ऊपरी नंबर (130) को सिस्टोलिक और निचले नंबर (80) को डाएस्टोलिक प्रेशर कहा जाता है। नियंत्रण के लिहाज से दोनों नंबर महत्वपूर्ण हैं।
ब्लड प्रेशर का नॉर्मल रेंज 110-140 सिस्टोलिक और 75-90 डाएस्टोलिक होता है।
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उच्च रक्तचाप और डायबिटीज से जुड़ी खास बातें:
- डायबिटीज और उच्च रक्तचाप या हायपरटेंशन साथ-साथ चलते हैं;
- डायबिटीज की जटिलताओं जैसे कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की बीमारियों की रोकथाम करने के लिए डायबिटीज और रक्तचाप दोनों को ही पूरी तरह नियंत्रण में रखना होता है;
- यदि ब्लड प्रेशर की रीडिंग बहुत अधिक न हो और मरीज ज्यादा असुविधा महसूस न कर रहा हो अथवा हृदय से या स्ट्रोक से जुड़ा मामला न हो तो रक्तचाप की सिर्फ एक रीडिंग को आमतौर पर इलाज के संदर्भ में मान्यता नहीं दी जाती है;
- अस्पताल में जांचा गया ब्लड प्रेशर अक्सर सामान्य से अधिक आता है (सफेद कोट हाइपरटेंशन), इसलिए अधिकांश मरीजों को चाहिए कि घर पर ऑटोमेटिक ब्लड प्रेशर मशीन के जरिये अपना ब्लड प्रेशर मापते रहें। (हालांकि इन मशीनों को भी चेक कराने की जरूरत होती है क्योंकि कई बार ये गलत रीडिंग बता सकते हैं);
- ब्लड शुगर की ही तरह सभी डायबिटीज रोगियों में ब्लड प्रेशर की जांच भी मॉनिटरिंग का हिस्सा होना चाहिए;
- ब्लड प्रेशर में मौसम के अनुसार परिवर्तन हो सकता है; गर्मियों में नीचे और सर्दियों में ऊपर; ऐसे में मौसम के अनुसार दवाओं में कमी-बेसी करने की जरूरत पड़ सकती है;
- डायबिटीज के मरीज में ब्लड प्रेशर का लक्ष्य सख्त होता है; इसे 140/90 mmHg से नीचे होना चाहिए, 130/80 mmHg के आसपास हो तो बेहतर;
- ब्लड प्रेशर पर अच्छा नियंत्रण शरीर के विभिन्न अंगों, हृदय, रक्त वाहिनियों, मस्तिष्क, किडनी, पैरों और आंखों सबके लिए लाभदायक होता है;
- हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन के सभी मरीजों के लिए सबसे पहला इलाज है नमक में कमी और व्यायाम। कई बार जमकर कसरत करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और सभी मरीजों में ऐसे व्यायाम के बाद इस स्थिति को पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए;
- डायबिटीज के मरीजों को उच्च रक्तचाप की सभी दवाएं सूट करना आवश्यक नहीं है; एन्जिओटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हीबीटर्स (एसीई इन्हीबीटर्स) और एन्जियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (एआरबीज) को वरीयता दी जाती है। ये दवाएं किडनी को भी बचाती हैं;
- समय-समय पर दवा का डोज बढ़ाने या दवा में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है;
- डायबिटीज की कुछ दवाएं ब्लड प्रेशर को कम करती हैं; जैसे कि एसजीएलटी2 इन्हीबीटर्स (केनेग्लिफ्लोजिन, डापाग्लिफ्लोजिन और एम्पाग्लिफ्लोजिन)। इसका अर्थ ये है कि ब्लड प्रेशर की दूसरी दवाओं के डोज में कमी करने की जरूरत है;
- ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं शरीर में पानी और नमक की कमी कर देती हैं (जैसे कि थियाजाइड्स) और बुजुर्ग मरीजों तथा उल्टी और दस्त के मरीजों में इनका सावधानी से इस्तेमाल करने की जरूरत होती है ताकि शरीर में सोडियम कम न हो जाए या ब्लड प्रेशर बहुत नीचे न गिर जाए।
- जटिलताओं को रोकने के लिए डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर के साथ-साथ ब्लड प्रेशर पर पूरा नियंत्रण होना भी महत्वपूर्ण है।
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